Sahyogatmak Anusandhan Yojana (सहयोगात्मक अनुसंधान योजना) के तहत अनुसंधान में साझेदारी और विकास के अवसर। आवेदन प्रक्रिया और पात्रता की जानकारी यहां प्राप्त करें।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने 2006 में एक केंद्र खोला। यह केंद्र बिजली क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए है। यहां पेशेवरों को मदद मिलती है और अनुसंधान किया जाता है।
यहां अनुसंधान संस्थान, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच मिलकर काम किया जाता है। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के साथ परियोजनाएं की जाती हैं।

इस योजना के तहत, लोगों को नई चीजें सिखाई जाती हैं। विशेषज्ञता का प्रसार होता है।
इसके अलावा, दुनिया भर के अनुसंधान संगठनों के साथ संपर्क बढ़ता है। बीईएल का लक्ष्य है कि बिजली क्षेत्र को नई तकनीकों से लाभ मिले।
सहयोगात्मक और उन्नत अनुसंधान केंद्र की स्थापना
भारत में बिजली क्षेत्र को विस्तारित करने के लिए अनुसंधान की जरूरत है। सहयोगात्मक अनुसंधान केंद्र और उन्नत अनुसंधान केंद्र बनाए गए हैं।
उद्देश्य और लक्ष्य
2006 में सहयोगात्मक और उन्नत अनुसंधान केंद्र (सीकार) की स्थापना हुई थी। यह केंद्र विशेषज्ञों के लिए मदद करता है।
यह केंद्र बिजली विकास पर अनुसंधान करता है। यह उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाता है।
सीकार की स्थापना | मुख्य उद्देश्य |
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2006 में सीपीआरआई बैंगलोर में | पेशेवरों के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करना बिजली विकास में अनुसंधान करना अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच सहयोगात्मक माहौल बनाना बहु-विषयक विशेषज्ञता के आधार पर परियोजनाओं को निष्पादित करना विशेषज्ञता का प्रसार करना |
इस प्रकार, सहयोगात्मक और उन्नत अनुसंधान केंद्र की स्थापना का उद्देश्य है। यह उन्नत क्षेत्रों में सहयोगी अनुसंधान के लिए एक केंद्र है।
बिजली क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान की आवश्यकता
भारत में बिजली क्षेत्र के विस्तार और पुनर्गठन के लिए कई चुनौतियां हैं। अनुसंधान सुविधाओं और विशेषज्ञ सलाह की जरूरत है। एक नोडल केंद्र बनाया गया है। यह बिजली क्षेत्र में कौशल बढ़ाने में मदद करेगा।
देश में बिजली क्षेत्र का विस्तार और पुनर्गठन महत्वपूर्ण है।
- वर्ष 2023-24 में बिजली की मांग में 2,43,271 मेगावाट की वृद्धि हुई है।
- ऊर्जा की आवश्यकता में वर्ष 2023-24 के दौरान 11,02,887 एमयू की वृद्धि हुई है।
- ट्रांसमिशन क्षमता में 2023 के दौरान 14,390 सीकेएम लाइनों, 61,591 एमवीए परिवर्तन क्षमता और 4,290 मेगावाट अंतर-क्षेत्रीय स्थानांतरण क्षमता का विस्तार किया गया।
- वर्ष 2023 में कुल बायोमास उपयोग 2.08 एलएमटी को पार किया गया है।
- 2030 तक 500 गीगावॉट से अधिक गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के एकीकरण की योजना है।
सहयोगात्मक अनुसंधान बिजली क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विशेषज्ञ सलाह भी महत्वपूर्ण है।

“बिजली क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करता है।”
सीकार में अनुसंधान संकाय और विद्वानों की भर्ती
सीकार में, उद्योग और शिक्षा जगत के पेशेवरों को अनुसंधान संकाय के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा। इच्छुक पेशेवर अपने रुचि के विषयों और प्रासंगिक उद्योग/शैक्षणिक विशेषज्ञता का विवरण देकर सीकार के साथ काम करने के लिए संवाद कर सकते हैं। सीकार दो से छह महीने की अवधि के लिए सहयोगी परियोजनाओं पर काम करने के इच्छुक पेशेवरों का एक पैनल बनाए रखेगा।
संकाय के लिए आवश्यकताएं
- उद्योग और शिक्षा क्षेत्र में कम से कम 5 वर्षों का व्यावसायिक अनुभव
- प्रासंगिक उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र में विशेषज्ञता
- सीकार की परियोजनाओं से संबंधित विषयों में रुचि
विद्वानों के लिए आवश्यकताएं
- पीएच.डी पूर्ण किया हुआ
- पीएच.डी कर रहे हैं
- मास्टर डिग्री पूर्ण की हुई
इच्छुक विद्वान भी अपना विस्तृत बायोडाटा देकर संवाद कर सकते हैं। सीकार में अनुसंधान संकाय और विद्वानों की भर्ती से सहयोगात्मक अनुसंधान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
“सीकार में अनुसंधान संकाय और विद्वानों की भर्ती से सहयोगात्मक अनुसंधान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।”
परियोजनाओं के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान
सीकार अन्य संस्थानों और उद्योगों के साथ मिलकर काम करेगा। परियोजनाओं का प्रस्ताव, प्रबंधन और निष्पादन करेगा। इसमें वित्त मंत्रालय की योजनाएं शामिल होंगी।
जैसे बिजली पर अनुसंधान योजना (आरएसओपी) और भारतीय विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान की योजनाएं। अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ भी काम किया जाएगा।
सीकार सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं को आगे बढ़ाएगा। अन्य संस्थानों के साथ सहयोग करेगा। परियोजना प्रबंधन और परियोजना निष्पादन में अनुभव प्राप्त करेगा।
“सीकार में सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं का प्रस्ताव, प्रबंधन और निष्पादन करने का प्रयास किया जाएगा।”
वर्तमान प्रस्तावों में पीएसयू के कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा। डॉक्टरेट और पोस्ट डॉक्टरेट विद्वानों को भी मौका दिया जाएगा।
सर्टिफिकेट कोर्स, मास्टर्स और डॉक्टरेट कार्यक्रमों के लिए अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ काम किया जाएगा। यह परियोजना प्रबंधन और परियोजना निष्पादन में अनुभव देगा।

सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए वित्त पोषण
सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए वित्तीय मदद मिल सकती है। सरकारी योजनाएं और बाहरी वित्तपोषण के कई स्रोत हैं। प्रधान अन्वेषक के लिए कम से कम $20,000 की आवश्यकता है। सहयोगी योजनाएं 2 या अधिक सदस्यों के साथ $30,000 तक मांग सकती हैं।
अनुसंधान कार्यालय कई बातों पर विचार करता है। इसमें अन्वेषक की योग्यता और प्रस्ताव का महत्व शामिल है। वे नवीनता और मानक मूल्यांकन मापदंडों पर भी ध्यान देते हैं।
अनुसंधान के लिए अंतिम रिपोर्ट 60 दिनों में देनी होगी। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के खर्चों के लिए प्रोत्साहन मिलते हैं।
वित्तीय सहायता के स्रोत | अनुरोध की न्यूनतम राशि | शर्तें |
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प्रधान अन्वेषक | $20,000 | योग्यता, महत्व, नवीनता और मानक मूल्यांकन मानदंड |
सहयोगी अनुसंधान योजनाएं | $30,000 | 2 या उससे अधिक संकाय सदस्य |
इस प्रकार, सहयोगात्मक अनुसंधान वित्तपोषण के लिए कई विकल्प हैं। संस्थान और अनुसंधानकर्ता अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सबसे अच्छा चुन सकते हैं।
परीक्षण पर प्रमाणन कार्यक्रम
सीपीआरआई विद्युत उपकरण परीक्षण के लिए एक पाठ्यक्रम दे रहा है। यह पाठ्यक्रम एक योग्य परीक्षण अभियंता बनने के लिए है। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
अब, परीक्षण प्रमाणन के लिए कई भूमिकाएं उपलब्ध हैं। इनमें नामांकन पर्यवेक्षक/ऑपरेटर, बाल नामांकन लाइट क्लाकइंट ऑपरेटर, और प्रशिक्षण परिदान शामिल हैं।
- नामांकन पर्यवेक्षक/ऑपरेटर
- बाल नामांकन लाइट क्लाकइंट ऑपरेटर
- प्रशिक्षण परिदान
नामांकन कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण रजिस्ट्रार और आधार नामांकन एजेंसी द्वारा किया जाता है। क्षेत्रीय कार्यालय भी मेगा प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते हैं।
मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षित करने के लिए है। वे बाद में दूसरों को प्रशिक्षित करेंगे।
आधार नामांकन और अपडेशन के लिए प्रमाणन आवश्यक है। यूआईडीएआई ने एनएसईआईटी लिमिटेड को टीसीए के रूप में नियुक्त किया है। यह व्यक्ति विशेष की योग्यता का आकलन करने के लिए है।

इस परीक्षण प्रमाणन कार्यक्रम से परीक्षण अभियंता बनने वालों को बिजली क्षेत्र में अच्छे अवसर मिलेंगे।
भौतिक मूलढ़ांचा और सुविधाएं
सीकार एक विशेष परिसर है। इसमें कक्षाएं, सभागार और आवासीय सुविधाएं हैं। यह विद्वानों को अच्छा काम करने का मौका देता है।
आवासीय सुविधाएं
यहां 30 कमरे हैं। वे शोधकर्ताओं के लिए हैं।
यहां कार्यशालाएं और प्रशिक्षण होते हैं। सीकार भौतिक बुनियादी ढांचा और सीकार सुविधाएं सुधरते हैं।
“सीकार में उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ बिजली क्षेत्र को उन्नत करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।”
इस प्रकार, सीकार भौतिक बुनियादी ढांचा, सीकार सुविधाएं और सीकार आवासीय सुविधाएं का मेल शोधकर्ताओं को बेहतर काम करने का मौका देता है।
बीईएल में सहयोगात्मक अनुसंधान योजना
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) अपने उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए काम करती है। बीईएल सहयोगात्मक अनुसंधान और बीईएल आर एंड डी के लिए बहुत सारे संसाधन लगाती है।
बीईएल की आर एंड डी गतिविधियां
बीईएल भारत और विदेश में कंपनियों के साथ मिलकर काम करती है। बीईएल उत्पाद पोर्टफोलियो और बीईएल तकनीकी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए सहयोग करती है।
- बीईएल ने एमएसएमई और स्टार्टअप्स के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं पर काम किया है।
- बीईएल ने विभिन्न आर एंड डी संस्थानों के साथ भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- ये सहयोगात्मक प्रयास नए उत्पादों और तकनीकों के विकास और मौजूदा उत्पादों के निरंतर उन्नयन में मदद करते हैं।

“बीईएल सहयोगात्मक अनुसंधान और आर एंड डी गतिविधियां कंपनी की बीईएल उत्पाद पोर्टफोलियो और बीईएल तकनीकी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।”
सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए पैनल बनाना
बीईएल ने 320 से अधिक भागीदारों को पैनल में शामिल किया है। उन्हें चुनने के लिए उनकी योग्यता, अनुभव और प्रासंगिकता का ध्यान रखा गया।
विशेषज्ञों और संस्थानों के चयन के मानदंड
विशेषज्ञों को उनके शैक्षिक योग्यता और अनुभव के आधार पर चुना जाता है। संस्थानों का चयन उनकी प्रतिष्ठा और प्रौद्योगिकी क्षमता पर आधारित होता है।
बीईएल ने सर्वोत्तम विशेषज्ञों और संस्थानों को पैनल में शामिल किया है। यह पैनल निरंतर अद्यतन किया जाता है। ताकि नए विशेषज्ञों को शामिल किया जा सके।
FAQ
सहयोगात्मक अनुसंधान योजना का क्या उद्देश्य है?
यह योजना बिजली क्षेत्र को नई तकनीकों से लाभान्वित करने के लिए है। 2006 में इसकी शुरुआत हुई।
सहयोगात्मक और उन्नत अनुसंधान केंद्र के क्या उद्देश्य और लक्ष्य हैं?
इसका मुख्य उद्देश्य पेशेवरों को मदद करना है। यह बिजली विकास में अनुसंधान करता है।
यह अनुसंधान संस्थानों, उद्योगों और शिक्षा जगत के बीच सहयोग बढ़ाता है।
यह विशेषज्ञता को फैलाने के लिए काम करता है। यह विश्व स्तर पर संपर्क बढ़ाता है।
बिजली क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान की क्यों आवश्यकता है?
भारत में बिजली क्षेत्र को विकसित करने के लिए अनुसंधान की जरूरत है।
एक नोडल केंद्र की स्थापना की गई है। यह एकीकृत सेवाएं प्रदान करता है।
सीकार में अनुसंधान संकाय और विद्वानों की भर्ती कैसे की जाती है?
सीकार में उद्योग और शिक्षा जगत के पेशेवरों को शामिल किया जाएगा।
विद्वान पीएच.डी पूरा करने वाले होंगे। या फिर पीएच.डी कर रहे होंगे।
सीकार में सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाएं कैसे निष्पादित की जाती हैं?
सीकार अन्य संस्थानों और उद्योगों के साथ मिलकर काम करता है।
यह परियोजनाओं का प्रबंधन करता है। वित्त मंत्रालय की योजनाओं को भी शामिल किया जाता है।
सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता कैसे प्राप्त की जाती है?
वित्त मंत्रालय की योजनाओं का उपयोग किया जाता है।
भारतीय विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान के लिए योजनाएं शामिल हैं।
अन्य एजेंसियों के वित्त पोषित परियोजनाएं भी ली जाती हैं।
सीपीआरआई में विद्युत उपकरण परीक्षण पर क्या प्रमाणन कार्यक्रम है?
सीपीआरआई 10 से 12 सप्ताह के लिए पाठ्यक्रम देता है।
यह एक योग्य परीक्षण अभियंता बनाने के लिए है। यह योजना अंतिम रूप दे रही है।
सीकार में क्या भौतिक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं हैं?
सीकार एक एकीकृत परिसर है। इसमें कक्षाएं, सभागार और आवासीय सुविधाएं हैं।
यह विद्वानों को अनुसंधान के लिए अच्छा वातावरण देता है।
बीईएल में सहयोगात्मक अनुसंधान योजना क्या है?
बीईएल अपने उत्पादों को तकनीकी रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए काम करता है।
यह नए उत्पादों और तकनीकों का विकास करता है।
यह कंपनियों और आर एंड डी संस्थानों के साथ सहयोग करता है।
सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए बीईएल का पैनल कैसे बनाया जाता है?
बीईएल ने 320 से अधिक भागीदारों को पैनल में शामिल किया है।
पैनल में विशेषज्ञों और संस्थानों को शामिल किया जाता है। उनकी अर्हताएं मान्य हैं।